संवेदनाहरण विज्ञान
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परिचय
अंतिम अपडेट :28/11/11
परिचय
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली का गठन 1956 में भारत सरकार द्वारा संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा की सभी शाखाओं में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के प्रशिक्षण के पैटर्न का विकास करना ताकि सभी चिकित्सा महाविद्यालयों और भारत के अन्य संबद्ध संस्थानों में चिकित्सा शिक्षा के उच्च मानक का प्रदर्शन किया जा सके, इन सभी को स्वास्थ्य गतिविधि की महत्वपूर्ण मानी गई सभी शाखाओं के कार्मिकों के प्रशिक्षण में उच्चतम स्तर की सुविधाएं प्रदान की जा सके और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में आत्म निर्भरता लाई जा सके। संवेदनाहरण विज्ञान मुख्य नैदानिक विभागों में से एक था जिसने संस्थान के उद्देश्यों और अधिदेश को पूरा किया है।
संवेदनाहरण विज्ञान विभाग की शुरूआत 1956 में दो ऑपरेशन थिएटर तथा एक आईसीयू के साथ कर्नल जी सी टंडन (1958-1970) के नेतृत्व में एक 'पुराने ऑपरेशन थिएटर' ब्लॉक में की गई थी।
ले. कर्नल प्रोफेसर जी. सी. टंडन को 1958 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया था और वे संवेदनाहरण विभाग के प्रथम प्रमुख और संस्थापक आचार्य थे तथा उन्होंने एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के रूप में भी कार्य किया। प्रो. टंडन संवेदनाहरण विज्ञान को एक व्यापक विशेषज्ञता संबंधी चिकित्सा के लिए जिम्मेदार थे और उन्होंने 1959 में पहली बार एमडी (संवेदनाहरण विज्ञान) प्रशिक्षण कार्यक्रम को आरंभ किया। इस पैटर्न को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है। उनके प्रयासों से संवेदनाहरण विज्ञान स्वतंत्र विशेषज्ञता के रूप में मान्यता दी गई, जो 1959 में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद् द्वारा आयुर्विज्ञान से संबंधित एक स्वतंत्र विशेषज्ञता माना जाता है, जिससे अधिकांश चिकित्सा महाविद्यालयों में स्वतंत्र विभाग और आचार्य के पद बनाए गए। प्रो. टंडन को 1961 में पहली बार दिल्ली संस्था का अध्यक्ष बनाया गया था, जो वर्तमान आईएसए दिल्ली शाखा का पूर्व वर्ती संगठन था। प्रो. टंडन को मुंबई में एसोसिएशन ऑफ सर्जन के साथ पिछले संयुक्त सम्मेलन में इण्डियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था। वे कई वर्षों तक इण्डियन जर्नल ऑफ एनेस्थीसिया के संपादक रहे।
1964 में, विभाग का प्रशासनिक कार्यान्वयन 5वें तल, पूर्वी विंग के ''टीचिंग ब्लॉक'' में स्थानांतरित किया गया और 1969 में ऑपरेशन थिएटर सी तथा डी ब्लॉक के 8वें तल (12 ऑपरेशन थिएटर) पर स्थानांतरित किए गए।
इसके बाद विभाग की अध्यक्षता प्रो. जी. आर. गोडे (1970-1988)ने की। प्रो. जी. आर. गोडे ने 1966 में एम्स संकाय का कार्यभार संभाला और वे सहायक आचार्य के पद तक पहुंचे एवं उन्होंने कर्नल जी सी टंडन से 1970 में विभाग प्रमुख का कार्यभार संभाला। वे 1975 में संवेदनाहरण विज्ञान में आचार्य के पद तक पदोन्नत हुए। उन्होंने मानव रेबिज के प्रबंधन के क्लिनिकल परीक्षणों में सक्रिय दिलचस्पी ली। उनके कारण 1979 में एम्स, नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलियन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्हें आईसीएमआर द्वारा मानद वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया। प्रो. जी आर गोडे 31 मार्च, 1988 को देश के जाने माने संवेदनाहरण चिकित्सक के 34 वर्ष के शानदार कैरियर के बाद सेवानिवृत्त हुए।
जबकि डॉ. वी. ए. पुन्नूस ने विभाग का नेतृत्व नहीं किया, किंतु विभाग के विकास में उनका योगदान बहुत अधिक है। उन्होंने मई 1967 में एम्स में एम डी (संवेदनाहरण विज्ञान) किया और इसके बाद संकाय का कार्यभार संभाला। डॉ. पुन्नूस समर्पित अध्यापक का एक दुर्लभ उदाहरण हैं। इन सब से ऊपर वे बहुत अधिक ईमानदार, निष्ठावान और अच्छे व्यक्ति थे। डॉ. पुन्नूस के साथ संपर्क करना बहुत आसान था, वे मित्रवत् और किसी झिझक या शर्त के बिना हमेशा मदद के लिए उपलब्ध रहते थे। वे अवकाश के दिनों और सप्ताहांत सहित दिन के लगभग 24 घण्टे ऑपरेशन थिएटर कॉम्प्लेक्स में ही रहा करते थे। अध्यापन के क्षेत्र में उनका असाधारण योगदान रहा है। विभाग के अनुसंधान में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है। डॉ. पुन्नूस ने अपना पूरा समय कार्डियक सेंटर में संवेदनाहरण सेवाएं प्रदान करने में लगाया। वे इस क्षेत्र के एक जाने माने दिग्गज थे और उन्होंने चिकित्सा के पेशे में ऐसे मानदण्ड स्थापित किए हैं जिन्हें कई विभाग अपनाते हैं जो आगे चलकर सरकारी और निजी क्षेत्र में है। उन्होंने 1983 में एम्स के संकाय पद से त्याग पत्र दे दिया। छात्रों के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि जहां भी मौका मिलता वे संस्थान से सेवा निवृत्त होने के बाद भी उन्हें घेर लेते थे।
1984 तक, संवेदनाहरण की सभी सुपर स्पेशलिटी सेवाओं (कार्डियो थोरेसिक – वेस्कुलर, न्यूरो – एनेस्थीसियोलॉजी और इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर अस्पताल) को मुख्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा समर्थन मिलता है, इसके अलावा इनकी स्थापना तक इनके अपने कर्मचारी भी कार्य करते रहे।
प्रो. एच. एल. कौल (1988-2004)ने आचार्य प्रो. जी आर गोडे से विभाग अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। वे विभाग के प्रथम स्नातकोत्तर छात्र थे जो 1988 में विभाग के प्रमुख बने। उन्होंने 1970 में एम्स से स्नातकोत्तर की उपाधि ली और सितंबर, 1971 में कार्यभार संभाला। वे रिसर्च सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी एण्ड एलाइड साइंसिस (आरएसएएएस) के संस्थापक सदस्य और रिसर्च सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी एण्ड क्लिनिकल फार्मेकोलॉजी के सदस्य है। उनके द्वारा जर्नल ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी एण्ड क्लिनिकल फार्मेकोलॉजी आरंभ किया गया था। वे दिसंबर 1999 तक पत्रिका के मुख्य संपादक थे। वे साउथ एशियन कंफेडरेशन ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट (एसएसीए) और एशियन एण्ड ओसनिक सोसायटी ऑफ रीजनल एनेस्थीसिया (1999-2001) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे अन्य संस्थाओं के महत्वपूर्ण पोर्ट फोलियो पर भी कार्यरत थे। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं, सम्मेलनों, और कांग्रेस का आयोजन किया।
प्रो. चंद्रलेखा (2004-2006 और 2007-2015)ने अप्रैल 2004 में प्रो. कौल से कार्यभार संभाल। उन्होंने एबी8 आईसीयू तथा एबी8 रिकवरी एरिया को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने आधुनिकतम मानव एनेस्थीसिया सिमुलेटर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरूआत भी की। उन्होंने तीन 'एनेस्थीसिया और एनालजेसिया में नवीनतम उन्नतियों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों' का सफल आयोजन भी किया।
प्रो. रवि सक्सेना (2006-2007)ने बहुत कम समय के लिए विभाग का नेतृत्व किया किंतु इस अवधि के दौरान उन्होंने जेपीएनए ट्रॉमा केंद्र में संवेदनाहरण की सेवाएं आरंभ कराई। वे आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र के अध्यक्ष थे और उन्होंने 'जीवन के बचाव हेतु संवेदनाहरण कौशल' पर एक पाठ्यक्रम भी शुरू किया, जो प्रशिक्षण (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) आस पास के इलाकों में तैनात डॉक्टरों को दिया जाता है।
वर्तमान में विभाग के अध्यक्ष प्रो. एम. के. अरोड़ा।
वर्तमान में, विभाग द्वारा प्रोटोकोल के अनुसार सामान्य सर्जरी, प्रसूति और स्त्री रोग, आईवीएफ, ईएनटी, अस्थि विज्ञान, ब्यूरोलॉजी, बच्चों की सर्जरी, जीआई सर्जरी, डॉ. आर पी नेत्र रोग विज्ञान केंद्र, सीडीईआर (ओरल एण्ड मैक्सीलोफेशियल सर्जरी) में प्रोटोकोल पर एनेस्थीसिया और आईसीयू सेवाएं प्रदान की जाती है। यहां हस्तक्षेप रेडियोलॉजी, एमआरआई, सीटी स्कैन, ईसीटी और चिरकालिक तथा गंभीर दर्द की सेवाओं, पुनर्जीवन तथा प्रसूति विज्ञान एनलजेसिया सेवाओं के लिए पेरिफेरल एनेस्थीसिया सेवाएं भी दी जाती है।
बीते वर्षों में चिकित्सा विज्ञान के विकास के साथ, विभाग ने रोगी देखभाल, शिक्षा और अनुसंधान में अपने उच्च स्तर स्थापित किए हैं। सभी ऑपरेशन कक्षों में आधुनिकतम एनेस्थीसिया देने की मशीन, गैर भेदक रक्त चाप के लिए सुविधाएं और सीवीपी निगरानी, एंट्रोपी और डीआईएस निगरानी तथा कोएगुलेशन निगरानी के अलावा बड़ी सर्जरी तथा स्थानीय एनेस्थीसिया ब्लॉक हेतु अल्ट्रासोनोग्राफी के लिए तेजी से तरल पदार्थ देने की सुविधाएं और वेस्कुलर पहुंच की सुविधा उपलब्ध है।
सघन देखभाल इकाई (एबी 8 आईसीयू) 8वें तल पर है जो साथ के ऑपरेशन कक्ष से जुड़ी है और यहां आधुनिक वेंटिलेटर, मल्टी पैरामीटर मॉनिटर, अल्ट्रासोनोग्राफी और इकोकार्डियोग्राफी मशीन तथा समर्पित प्रयोगशाला मौजूद है। आईसीयू द्वारा सर्जरी के बाद रोगियों को सेवा प्रदान की जाती है और यहां नर्सिंग का अनुपात 1 : 1 है।
एबी8 संवेदनाहरण पश्चात् स्वास्थ्य लाभ कक्ष (पीएसीयू) यह आधुनिकतम कक्ष है जहां ठीक होने के लिए रोगियों को रखा जाता है और यहां मल्टी पैरामीटर वाले मॉनिटर, रोगी द्वारा नियंत्रित एनालजेसिया (पीसीए) / ऑपिऑइड देने वाला पम्प, एनेस्थीसिया मशीन तथा आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए डीफाइब्रिलेटर मौजूद है।
एनेस्थीसिया से पहले की जांच (पीएसी) : आगे भेजे गए रोगियों को पीएसी क्लिनिक में सर्जरी / जांच की प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है जहां पीएसी क्लिनिक में उनकी छानबीन की जाती है, जो कमरा नंबर 5054, पांचवां तल सर्जिकल ओपीडी ब्लॉक में प्रति सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को पहले से समय लेकर होती है।
दर्द क्लिनिक : चिरकालिक और गंभीर दर्द से पीडि़त रोगियों को इलाज के लिए इस क्लिनिक में भेजा जाता है। यह क्लिनिक एबी 7 वार्ड (7वां तल) में स्थित है 'पूर्व एनेस्थीसिया कक्ष (पीएआर) क्षेत्र प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे के बीच उपलब्ध होता है। दर्द क्लिनिक में दर्द के इलाज की विभिन्न विधियों के लिए सुविधा उपलब्ध है जैसे रेडियो फ्रिक्वेंसी एबलेशन, न्यूरोलाइटिक ब्लॉक, टीईएनएस, एक्यूपंक्चर, एक्यूपल्सर आदि उपलब्ध हैं। इमेज गाइडिड हस्तक्षेप दर्द प्रबंधन की प्रक्रियाएं ऑपरेशन कक्ष में सप्ताह में एक दिन (गुरूवार) की जाती है।
रिसर्च सोसायटी फॉर एनेस्थीसियास एण्ड एलाइड साइंसस (आरएसएएएस) : इस सोसायटी का अधिदेश विभाग के संकाय तथा रेजीडेंट के बीच अनुसंधान और शैक्षिक कार्य को प्रोत्साहन देना है।
विभाग ने 1982 में रिसर्च सोसायटी फॉर एनेस्थीसियोलॉजी एण्ड क्लिनिकल फार्मेकोलॉजी की शुरूआत प्रो. एच एल कौल के नेतृत्व में की। आगे चलकर मुख्य संपादक के रूप में प्रो. एच एल कौल ने जर्नल ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी तथा क्लिनिकल फार्मेकोलॉजी की शुरुआत की, यह कई वर्षों से संवेदनाहरण विज्ञान विभाग द्वारा प्रकाशित और संपादित की गई।
विभाग द्वारा नियमित रूप से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, कार्यशालाओं और जारी चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
स्नातकोत्तर पाठयक्रम (एमडी) तीन वर्षों की अवधि का होता है और इसमें एक शोध शामिल होता है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए जूनियर रेजीडेंट पाठ्यक्रम वर्ष में दो बार चयन किया जाता है अर्थात् जनवरी और जुलाई में। एनेस्थीसिया में इस विशेषज्ञता के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है। नियमित स्थानों के अलावा विभिन्न राज्यों और देशों के प्रायोजित प्रत्याशियों को भी संस्थान के नियमों के अनुसार पाठ्यक्रम में शामिल होने की अनुमति है। यह चयन अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा पर आधारित है।
सभी स्नातकोत्तर छात्रों को सभी सर्जिकल विशेषज्ञताओं, गहन देखभाल, पूर्व संज्ञाहरण क्लीनिक और दर्द क्लिनिक में चक्रानुक्रम आधार पर भेजा जाता है। शोध लेखन अंतिम एमडी परीक्षा की आंशिक पूर्णता के लिए अनिवार्य है। एम्स के स्नातकोत्तर अध्यापन को सर्वोत्तम अध्यापन कार्यक्रमों में से एक माना जाता है, जिसमें गोष्ठियां, पत्रिका क्लब, मामलों पर चर्चा, ट्यूटोरियल और अतिथि व्याख्यान (सप्ताह में चार बार) आयोजित किए जाते हैं, सभी जूनियर और सीनियर रेजीडेंट संकाय के मार्ग दर्शन में अध्यापन की गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेते हैं। यह ऑपरेशन थिएटर और गहन देखभाल इकाई में आयोजित किए जाने वाले मामलों पर आधारित दैनिक अध्यापन गतिविधि के अलावा है।
विभाग ने एनेस्थीसिया, वेस्कुलर पहुंच, केंद्रीय न्यूरोएक्सीयल ब्लॉकेड, पेरिफेरल नर्व ब्लॉकेड और आपातकालीन परिदृश्य सहित सीपीआर के लिए अध्यापन हेतु नवीनतम 'ह्रयूमन सिमुलेटर' और कौशल विकास प्रयोगशाला एवं स्वयं कार्य के प्रशिक्षण की सुविधा दी है। यह सिमुलेटर अध्यापन और गैर तकनीकी कौशलों (एनटीएस) के आकलन में भी उपयोग किया जाता है।
सीनियर रेजीडेंसी का कार्यकाल तीन वर्ष का है, जिसके दौरान रेजीडेंट को इस विशेषज्ञता का उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सभी उप विशेषज्ञता और सघन देखभाल इकाई में क्रमानुसार भेजा जाता है।
विभाग का नाम बदलकर 4 जून 2015 से "एनेस्थिसियोलॉजी विभाग, दर्द चिकित्सा और क्रांतिक देखभाल" किया गया है।
जनवरी 2016 से विभाग द्वारा तीन वर्षीय डी एम (क्रांतिक देखभाल चिकित्सा) पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया है जिसमें प्रति सत्र पांच छात्र लिए जाते हैं (नियमित 4, प्रायोजित 1)।