जैव आयुर्विज्ञान इंजीनियरी
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जैव चिकित्सा इंजीनियरी चिकित्सा तथा जैव चिकित्सा विज्ञानों में समस्या सुलझाने की अभियांत्रिकी तकनीकों और विश्लेषणों का अनुप्रयोग है।
स्वास्थ्य देखरेख, रोग की रोकथाम और उपचार या पुनर्वास के अधिकांश पक्षों में ऐसी समस्याएं हैं जिनके लिए एक अभियांत्रिकी मार्ग की आवश्यकता होती है। इनमें जीवन के रखरखाव और बेहतर बनाने की प्रणालियों का विकास, लोगों के लिए अंग प्रतिस्थापनों की डिजाइन तैयार करना या विकलांगों को अपने कार्य तथा संचार के लिए कम्प्यूटरों के इस्तेमाल के लिए प्रणालियों का सृजन करना शामिल है।
जैव चिकित्सा इंजीनियरी एक अंतर विषयक क्षेत्र है जिसमें अभियांत्रिकी, जीव विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान शामिल है। इसके कुछ मुख्य क्षेत्र हैं चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिकी, क्लिनिकल अभियांत्रिकी, जैव सामग्री और पुनर्वास अभियांत्रिकी। इस क्षेत्र का विस्तार अपार है : जिसमें कार्डियक मॉनीटर से लेकर क्लिनिकल कम्प्यूटिंग, कृत्रिम हृदय से लेकर कॉन्टेक्ट लेंस, वील चेयर से लेकर कृत्रिम टेंडन, मॉडलिंग डायलिसिस उपचार से लेकर मॉडलिंग कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम। इस क्षेत्र में अस्पतालों और स्वास्थ्य देखरेख प्रदायगी में प्रौद्योगिकी का प्रबंधन भी शामिल है।
यह उद्योग और अनुसंधान में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी की बढ़ती जटिलताओं से क्लिनिकल चिकित्सा और अनुप्रयुक्त चिकित्सा प्रौद्योगिकी के बीच जा अंतराल पाटने के लिए उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित व्यावसायिकों की मांग बढ़ी है। इन कार्मिकों को अभियांत्रिकी विज्ञान संदर्भों में एक चिकित्सा समस्या को परिभाषित करने तथा एक ऐसा समाधान प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए जो अभियांत्रिकी और चिकित्सा दोनों आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सकते हैं। उक्त प्रशिक्षित कार्मिक जैव चिकित्सा अभियंता कोर का गठन करते हैं।
इस क्षेत्र के संभावित लाभों का पूरी तरह से दोहन करने के लिए एक अध्यापन मॉडल स्थापित किया जाना है जिसे पूरे भारत के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यान्वित किया जा सके। इस अध्यापन मॉडल से जैव चिकित्सा इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जाएगा।