शरीर रचना विज्ञान
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परिचय
पिछला अद्यतनीकरण :22/7/11
शरीर रचना विभाग और आयुर्विज्ञान एक इतिहास बनाते हुए 1956 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रथम विभागों के रूप में अस्तित्व में आए। यह संस्थान के पूर्व चिकित्सा खंड के प्रथम और भूतलों पर हैं। इनकी प्रमुख गतिविधियां अध्यापन और अनुसंधान के आस पास केंद्रित हैं। इसके अलावा अस्पताल सेवा प्रदान करने के लिए कुछ प्रयोगशालाएं हैं। मृत्यु पश्चात शव ले जाने के लिए सार्वजनिक सेवा के रूप में यह कार्य भी विभाग द्वारा किया जाता है।
एमबीबीएस पाठ्यक्रम, एम.एससी. शरीर रचना, बी.एससी ऑनर्स नर्सिंग तथा पोस्ट प्रमाणपत्र नर्सिंग में छात्रों का दाखिला वर्ष में एक बार होता है। एमडी शरीर रचना, पीएचडी में स्नाकोत्तर छात्रों को वर्ष में दो बार दाखिला दिया जाता है। इसके अलावा विभिन्न तकनीकों और विशेषज्ञताओं में बड़ी संख्या में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तथा अल्पावधि प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं। एम्स शरीर रचना में एक वर्षीय पाठ्यक्रम आरंभ करने वाला पहला संस्थान है और इसने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद द्वारा संस्तुत भारत के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए पाठ्यचर्या के विकास में योगदान दिया है। यहां शरीर रचना की सभी उप विशेषताओं के अध्यापन और अधिगम में आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।
विभिन्न प्रयोगशालाओं में प्रायोगिक और क्लिनिकल सामग्री पर मूलभूत तथा अनुप्रयुक्त अनुसंधान किए जाते हैं। आनुवंशिक और प्रायोगिक प्रतिरक्षा विज्ञान प्रयोगशाला में मुख्य रूप से अनुसंधान हेतु क्लिनिकल सामग्री इस्तेमाल की जाती है, जबकि इसके साथ ऊतक संवर्धन पर अध्ययन भी किए जाते हैं। एम्स तथा अन्य सरकारी अस्पतालों से प्राप्त गर्भपात की सामग्री एवं प्रायोगिक जंतुओं पर विकास तंत्रिका जीव विज्ञान अनुसंधान किए जाते हैं। विकास की प्रक्रिया को समझने के लिए रोडेंट मॉडल भी उपयोग किए जाते हैं। तंत्रिका आविष विज्ञान अनुसंधान के लिए प्रायोगिक जंतुओं का उपयोग किया जाता है। मुर्गी के श्रवण मार्ग के विकास पर समृद्ध ध्वनि के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। चूहे की आंतरिक तंत्रिका रचना पर प्रायोगिक परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। चूहे के मॉडल पर हिप्पो कैम्पस में लिंग हारमोन ग्राही का अध्ययन किया जा रहा है। दर्द की अनुभूति और दर्द में राहत पर विभिन्न दवाओं के प्रभाव का भी अध्ययन किया गया है। यह विभाग आनुवंशिकी में प्रशिक्षण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त केंद्र है।